पद्मश्री शख्सियत: वो डॉक्टर जो असम में कैंसर रोगियों का बेहद सस्ता इलाज करता है

इस साल के पद्म पुरस्कारों की घोषणा की जा चुकी है. विभिन्न क्षेत्रों के दिग्गजों को पद्मश्री, पद्मभूषण और पद्मविभूषण पुरस्कारों से नवाजा गया है. इस बार एक ऐसे डॉक्टर को भी पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा जाएगा जो वर्षों से शांत रहकर भारत के दूरस्थ कोने में कैंसर रोगियों की सेवा कर रहा है. इनका नाम है डॉ. रवि कन्नन.


असम की बराक घाटी


भारत और बांग्लादेश के बॉर्डर से लगा असम का एक इलाका है बराक घाटी. इस इलाके का नाम असम की मशहूर नदी बराक के नाम पर पड़ा है. ये इलाका चाय बागानों के लिए मशहूर है. ये इलाका सिल्चर घाटी के अंतर्गत आता है. इस क्षेत्र में तीन जिले पड़ते हैं-कछार, करीमगंज और हलाकांडी.


आजादी के कई दशक बाद भी ये इलाका मेडिकल की सुविधाओं से तकरीबन महरूम था. इलाज कराने के लिए राजधानी की गुवाहाटी जाना पड़ता था. राजधानी से इस इलाके की दूरी करीब 350 किलोमीटर है. इस इलाके में लोग तंबाकू उत्पादों का जमकर इस्तेमाल करते हैं. तंबाकू के इस्तेमाल से लोग कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी की चपेट में भी आ जाते हैं.



कैंसर की चपेट में ज्यादा संख्या में लोगों के आने केस को देखते हुए स्थानीय लोगों ने ही कैंसर अस्पताल की शुरुआत करने के प्रयास किए. इसमें सरकार ने भी मदद की औरल साल 1996 में यहां एक छोटे अस्पताल की शुरुआत हुई. लेकिन मुश्किलें बहुत बड़ी थीं और सबसे बड़ी मुश्किल थी फंड की. करीब 10 साल बाद इस अस्पताल में पहली रेडियेशन मशीन लग पाई. लेकिन इस अस्पताल की वास्तविक किस्मत तब खुली जब यहां 2007 डॉक्टर रवि कन्नन पहुंचे.